भूख पर कविता

भूख पर कविता

भूख पर कविताएं कविता 1. भूख केवल रोटी और भात नहीं खातीवह नदियों पहाड़ों खदानों और आदमियों को भी खा जाती हैभौतिक संसाधनों से परेसारे रिश्तों और सारी नैतिकताओं को भी बड़ी आसानी से पचा लेती है भूख। भूख की कोई जाति कोई धर्म नहीं होतावह सभी जाति सभी धर्म वालों को समान भाव से … Read more

Loading

लोकन बुढ़िया-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

कविता संग्रह

लोकन बुढ़िया स्कूल कैंपस के ठीक सामनेबरगद के नीचेनीचट मैली सूती साड़ी पहनीमुर्रा ज्वार जोंधरी के लाड़ूऔर मौसमी फल इमली बिही बेर बेचतीवह लोकन बुढ़ियाआज भी याद है मुझे उस अकेली बुढ़िया कोस्कूल के हम सब बच्चे जानते थेमगर आश्चर्य तो यह हैउस बुढ़िया की धुंधली आंखेंहम सबको पहचानती थीहम सबका नाम जानती थी उसकी … Read more

Loading

मातृ दिवस पर हिंदी कविता (Martee Divas Par Kavita )

maa-par-hindi-kavita

मातृ दिवस पर हिंदी कविता (Martee Divas Par Kavita) : मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज यह 14 फरवरी को देश विदेश में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार द्वारा … Read more

Loading

अनजान लोग – नरेंद्र कुमार कुलमित्र

कविता संग्रह

अनजान लोग कितने अच्छे होते हैं अनजान लोगउनको हमसे कोई अपेक्षा नहीं होतीहमें भी उनसे कोई अपेक्षा नहीं होती हम गलत करते हैंकि अनजानों से हमेशा डरे डरे रहते हैंहर बार अनजान लोग गलत नहीं होतेफिर भी प्रायः अनजानो से दया करने में कतराते हैं हमारे दिल दुखाने वाले प्रायः जान पहचान के होते हैंहमें … Read more

Loading

मौत की आदत – नरेंद्र कुमार कुलमित्र

मौत की आदत – नरेंद्र कुमार कुलमित्र सुबह-सुबह पड़ोस के एक नौजवान की मौत की खबर सुनाएक बार फिरअपनों की तमाम मौतें ताजा हो गई अपनी आंखों से जितनी मौतें देखी है मैंनेनिष्ठुर मौत पल भर में आती है चली जाती है हम दहाड़ मार मार कर रोते रहते हैंएक दूसरे को ढांढस बंधाते रहते … Read more

Loading

धर्म की कृत्रिमता पर कविता-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

धर्म की कृत्रिमता पर कविता कृत्रिम होती जा रही है हमारी प्रकृति-03.03.22—————————————————-हिंदू और मुसलमान दोनों कोठंड में खिली गुनगुनी धूप अच्छी लगती हैचिलचिलाती धूप से उपजी लू के थपेड़ेदोनों ही सहन नहीं कर पाते हिंदू और मुसलमान दोनोंठंडी हवा के झोंकों से झूम उठते हैंतेज आंधी की रफ्तार दोनों ही सहन नहीं कर पाते हिंदू … Read more

Loading

मुफ्त की चीज पर कविता

कविता संग्रह

मुफ्त की चीज पर कविता मुफ्त की चीजों से..19.03.22———————————————हमारी आदत सी हो गई हैकि हमें सब कुछ मुफ्त में चाहिएभिखारियों की तरह हम मांगते ही रहते हैंराशन पानी बिजली कपड़ा मकान रोजगार मोबाइल और मुफ्त का वाईफाई कनेक्शन मुफ्त की चीजों सेबदलने लगे हैं हमारे खून की तासीरहम कमाना नहीं चाहते अमरबेल की तरह फैलना … Read more

Loading

फिर से लौट आएगी खूबसूरत दुनियां

इंद्रधनुष

फिर से लौट आएगी खूबसूरत दुनियां पिछले कुछ दिनों सेमैंने नहीं देखा है रोशनी वाला सूरजताज़गी वाली हवाखुला आसमानखिले हुए फूलहँसते-खिलखिलाते लोग एक-एक दिनदेह में होने का ख़ैर मनाती आ रही हैदेह के किसी कोने मेंडरी-सहमी एक आत्मा किसी भी तरह जीवन बचाने की जद्दोजेहद मेंउत्थान और विकास जैसेजीवन के सारे जद्दोजहदभूलने लगे हैं लोग … Read more

Loading

कविता की पौष्टिकता –

कविता संग्रह

विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था। कविता की पौष्टिकता – 19.04.21 ——————————————————–खाना बनाना बड़ा कठिन काम होता … Read more

Loading

कविताओं के ज़रिए – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

कविता संग्रह

कविता की सार्थकता बयान करती कविता

Loading