गणपति बाबा

गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

गणपति
गणपति

गणपति बाबा


आरती सजा के आयेँव हँव द्वार तोर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।

तोर आशीष से भाग चमक जाही।
निर्धन हर घलो रहिस बन पाही।
तोर दया से जिनगी होही अँजोर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
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मुषवा म सवार होके घर मोर आये।
रिद्धि सिद्धि ला संग म प्रभु तैं लाये।
देवा के जयकारा होवत हे चारों ओर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
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तैं हावस प्रभु विद्या बुद्धि के दाता।
तोर मोर हावै जनम -जनम के नाता।
भक्त भगवान के टूटे झन माया डोर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
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एक बछर मा देवा नौ दिन बर आथस ।
सब्बो के जिनगी म खुशियाँ दे जाथस।
गणपति कृपा से आही सुनहरा भोर।
हे गणपति बाबा सुन ले विनती मोर।
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गीता सागर

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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