लक्ष्य पर ग़ज़ल – सुशी सक्सेना

कांटों भरा हो या फूलों भरा, जारी ये सफ़र रखना,
कदम जमीं पर हो, मगर आसमां पर नजर रखना।

मुश्किलों भरीं हैं, ये राहें जिंदगी की, ऐ साहिब
चैन न मिले तो उलझनों में ही हंसी बसर रखना।

खोने न देना होश, कामयाबियां जब कदम चूमे
गमों में दिल के टुकड़ों को अपने सभांल कर रखना

यूं तो काम आएंगे दोस्त, जिंदगी के हर मोड़ पर
जब साथ कोई न दे तो, तब दिल में सबर रखना।

सागर पार करके, पहुंच ही जाते हैं किनारे पर
डूबने लगो जब तो, बाहर निकलने का हुनर रखना

फुर्सत कहां मिलती है हमें, खुद को संवारने से
जरा अपने चाहने वालों पर थोड़ी सी खबर रखना।

सुशी सक्सेना

सुशी सक्सेना

यह काव्य संकलन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवतरित लेखिका सुशी सक्सेना के सहयोग से हो पाई है । अभी आप इंदौर मध्यप्रदेश में हैं । अभी आप अवैतनिक संपादक और कवयित्री के रूप में kavitabahar.com में अपना सेवा दे रही है। आपकी लिखी शायरियां और कविताएं बहुत सी मैगजीन और न्यूज पेपर में प्रकाशित होती रहती हैं। मेरे सनम, जिंदगी की परिभाषा, नशा कलम का, मेरे साहिब, चाहतों की हवा आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

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