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हलषष्ठी पर हिंदी कविता – नीरामणी श्रीवास नियति

कविता संग्रह
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हलषष्ठी पर हिंदी कविता

आयी हलषष्ठी शुभम , माँ का यह व्रत खास ।
अपने बच्चों के लिए , रखती है उपवास ।।
रखती है उपवास , करे सगरी की पूजा ।
बिना चले हल भोज्य , नहीं करते है दूजा ।।
नियति कहे कर जोड़ , हृदय व्रत कर हर्षायी ।
कथा सुनेंगे आज , मातु हल षष्ठी आयी ।।

पत्तल महुआ का रहे , पसहर चांँवल खाद्य ।
दूध दही घी भैंस का , साधक करते साध्य ।।
साधक करते साध्य , बनावट के है सागर ।
छः प्रकार के वस्तु , भरे मन भर के आगर ।।
नियति कहे कर जोड़ , बैठिए आसन समतल ।
नियम युक्त उपवास , बाद भोजन कर पत्तल ।।

जाने व्रत का सब नियम , फिर रखिए उपवास ।
माँ हल षष्ठी की कृपा , भरती हृदय उजास ।।
भरती हृदय उजास , उमर लंबी हो सुत की ।
सज सोलह श्रृंगार , भाद्र पद महिना युत की ।।
नियति कहे कर जोड़, प्रेम से गाओ गाने ।
देती है शुभ फल मातु , नियम जो व्रत का जाने ।।

नीरामणी श्रीवास नियति
कसडोल छत्तीसगढ़

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