ढोंगी पर कविता – सतीश बब्बा

ढोंगी पर कविता

HINDI KAVITA || हिंदी कविता
HINDI KAVITA || हिंदी कविता

चलती रेल में एक पंडित,
सफाचट मूँछें लम्बी चूँदी,
देखता विरल नयनों से,
बैठ सीट में आँखें मूँदी !

एक अधेड़ यात्री का,
हाथ खोलकर लगा बताने,
उसके बीते पलों की कहानी,
जो उसके लिए थे अनजाने!

अब भविष्य की बारी आई,
रेल दुर्घटना की बात बताई,
कुछ उपायों से बच सकते हो,
रुपयों से की भरपाई !

चला गया फिर दूसरे सीट में,
एक नवयुवती की हिस्टरी खोली,
गुस्सा आया उस युवती को,
चप्पल पैरों से वह खोली!

निकल गया नकली आवरण,
वह निकला उसी के गाँव का ढोंगी,
पीछे सीट वाले ने भी चीन्हा,
पड़ने लगे हाथ तब निकली उसकी बोली !

सतीश “बब्बा”
( सतीश चन्द्र मिश्र )

ग्राम + पोस्ट = कोबरा, जिला – चित्रकूट, उत्तर – प्रदेश, पिनकोड – 210208

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *