ढोंगी पर कविता – सतीश बब्बा

ढोंगी पर कविता चलती रेल में एक पंडित,सफाचट मूँछें लम्बी चूँदी,देखता विरल नयनों से,बैठ सीट में आँखें मूँदी ! एक अधेड़ यात्री का,हाथ खोलकर लगा बताने,उसके बीते पलों की कहानी,जो उसके लिए थे अनजाने! अब भविष्य की बारी आई,रेल दुर्घटना की बात बताई,कुछ उपायों से बच सकते हो,रुपयों से की भरपाई ! चला गया फिर … Read more