सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी

सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी


न हो साथ कोई, अकेले बढ़ो तुम,
सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी।। सफलता…..


सदा जो जगाये बिना ही जगा है,
वही बीज पनपा पनपना जिसे था।
घुना क्या किसी के उगाये उगा है,
अगर उग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी| सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी |


सही राह को छोड़कर जो मुड़े हैं
बिना पंख तौले उड़े जो गगन में,
न संबंध उसके गगन से जुड़े हैं।
अगर बन सको तो पखेरू बनो तुम,
प्रवरता तुम्हारे चरण चूम लेगी।। सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी |

न जो बर्फ की आँधियों से लड़े हैं,
कभी पग न उनके शिखर पर पड़े हैं
जिन्हे लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से,
वही जी चुराकर तरसते खड़े है।
अगर जी सको तो जियो जूझकर तुम,
अमरता तुम्हारे चरण चूम लेगी। सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी |

दिवस आधारित कविता