प्रेरणा दायक कविता – लो आज बज उठी रणभेरी

प्रेरणा दायक कविता
प्रेरणादायक कविता

प्रेरणा दायक कविता – लो आज बज उठी रणभेरी


माँ कब से खड़ी पुकार रही पुत्रो निज कर में शस्त्र गहो
सेनापति की आवाज हुई तैयार रहो, तैयार रहो
आओ तुम भी दो आज विदा अब क्या अड़चन अब क्या देरी?
लो आज बज उठी रणभेरी॥


पैंतीस कोटि लड़के-बच्चे
जिसके बल पर ललकार रहे
वह पराधीन बन निज गृह में
परदेशी की दुत्कार सहे
कह दो हमको अब सहा नहीं मेरी माँ कहलाए चेरी!
लो आज बज उठी रणभेरी!!


जो दूध-दूध कह तड़प गए
दाने-दाने को तरस मरे
लाठियां-गोलियां जो खाई
वे घाव अभी तक बने हरे
उन सबका बदला लेने को अब बांहें फड़क रहीं मेरी!


लो आज बज उठी रणभेरी !!
अब बढ़ो चलो अब बढ़े चलो
निर्भय हो जय के गान करो
सदियों में अवसर आया है

बलिदानी, अब बलिदान करो
फिर माँ का दूध उमड़ आया बहनें देती मंगल-फेरी!
लो आज बज उठी रणभेरी!!


जलने दो जौहर की ज्वाला
अब पहनो केसरिया बाना
आपस का कलह डाह छोड़ो
तुमको शहीद बनने जाना
जो बिना विजय वापस आये माँ आज शपथ उसको तेरी!
लो आज बज उठी रणभेरी!!

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