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हिन्दी का गुणगान – अकिल खान

हिन्दी का गुणगान

संस्कृत भाषा से,अवतरित हुआ है हिन्दी,
भारत की माथे की है ये अनमोल बिन्दी।
‘राष्ट्रीय भाषा’का जिसे मिला है देश मे सम्मान,
प्यारे देशवासियों किजीए,हिन्दी का गुणगान।

हिन्दी की है प्यारी-प्यारी,मिठी-मिठी बोली,
दोस्ती-व्यवहार में,हिन्दी भाषा है हमजोली।
विद्वान-ज्ञानीयों ने,जिसका किया है बखान,
प्यारे देशवासियों,किजीए हिन्दी का गुणगान।

हम हैं हिन्दवासी,हमें नित हिन्दी है प्यारा,
हिन्दी को सभी-जन ने प्यार से है दुलारा।
देशवासियों हिन्दी भाषा,को भी बनाइए महान,
प्यारे देशवासियों किजीए,हिन्दी का गुणगान।

चारों दिशाओं में है,हिन्दी भाषा का बोलबाला,
अ,आ,ई से प्रारंभ होती है,हिन्दी का वर्णमाला।
हिन्दी भाषा के कारण,कई लोग बने हैं महान,
प्यारे देशवासियों किजीए,हिन्दी का गुणगान।

हिन्दी एक भाषा नहीं,जुनून और भक्ति है,
हर भारतीयों के हृदय,में ज्ञान की शक्ति है।
हिन्दी है ‘स्वाधीनता’रूपी क्रान्ति का तूफान,
प्यारे देशवासियों किजीए,हिन्दी का गुणगान।

हिन्दी भाषा के खातिर,कई लोग हुए हैं कुर्बान,
हिन्दी भाषा की रक्षा करो,यह है आत्मसम्मान।
हिन्दी से मिला है,भारत को विश्व में पहचान,
प्यारे देशवासियों किजीए,हिन्दी का गुणगान।

भारतवासियों,हिन्दी का अलख जगाओ,
कुप्रथाओं को समाज,से बाहर भगाओ।
हिन्दी भाषा की,महिमा को सभी को बताओ,
हिंद रूपी बगीया में,हिन्दी रूपी फूल खिलाओ,
कहता है’अकिल’हिन्दी है,हमारे देश की शान,
प्यारे देशवासियों किजीए,हिन्दी का गुणगान।


अकिल खान. सदस्य, प्रचारक’ कविता बहार’ जिला – रायगढ़ (छ.ग.)

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