हिंदी पर कविता – मदन सिंह शेखावत

हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। 14 सितम्बर, 1949 के दिन संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाषा प्रावधानों को अंगीकार कर हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। संविधान के सत्रहवें भाग के पहले अध्ययन के अनुच्छेद 343 के अन्तर्गत राजभाषा के सम्बन्ध में तीन मुख्य बातें थी-

संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा ।

कुण्डलिया

हिंदी

हिंदी बोली देश की,बहुत मधुर मन मस्त ।
इसे सभी अपना रहे , करे विदेशी पस्त।
करे विदेशी पस्त , राष्ट्र भाषा का दर्जा।
करे सभी अब काम , उतारे माँ का कर्जा।
कहे मदन कर जोर,भाल भारत की बिन्दी।
देवे सब सम्मान , देश में बोले हिन्दी।।

हिंदी भाषा देश की , सारे जग विख्यात।
तुलसी सूर कबीर ने , छन्द रचे बहु भात।
छन्द रचे बहु भात , जगत में नाम कमाये।
मुख की शोभा जान,सभी को खूब लुभाये।
कहे मदन समझाय,भाल की लगती बिंदी।
पाया अब सम्मान , देश की भाषा हिंदी।।

हिन्दी का आदर करे , करना अब सम्मान।
सभी कार्य हिंदी करे,खूब बढाये मान।
खूब बढाये मान ,गर्व भाषा निज करना।
बढे संस्कृति शान,देश हित हमको मरना।
कहे मदन कर जोर ,करे अंग्रेजी चिन्दी।
करना हमें प्रयोग,देश में सब मिल हिन्दी।।

हिंदी में लिखना हमें , करना है हर काम।
जन जन की भाषा यही,फैले इसका नाम।
फैले इसका नाम , सुगम भाषा है प्यारी।
बनी विश्व पहचान , करे हम कुछ तैयारी।
कहे मदन सुन मीत, अन्य भाषा हो चिन्दी।
करना सब उपयोग , सजाये मुख पर हिंदी।।
मदन सिंह शेखावत ढोढसर स्वरचित

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