हो नहीं सकती – बाबुराम सिंह

कविता संग्रह
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हो नहीं सकती


शुचिता सच्चाई से बड़ा कोई तप नहीं दूजा,
सत्संग बिना मन की सफाई हो नहीं सकती।

नर जीवन जबतक पुरा निःस्वार्थ नहीं बनता,
तबतक सही किसीकी भलाई हो नहीं सकती।

अन्दर से जाग भाग सदा पाप दुराचार से,
सदज्ञान बिन पुण्यकी कमाई हो नहीं सकती।

काम -कौल में फँसकर ना कृपण बनो कभी,
सदा दान बिन धन की धुलाई हो नहीं सकती।

देव ऋषि पितृ ऋण से उॠण होना है,
वेदज्ञान बिन इसकी भरपाई हो नहीं सकती।

राष्ट्र रक्षा जन सुरक्षा में सतत् निमग्न रह,
बीन अनुभव कर्मों की पढ़ाई हो नहीं सकती।

परमात्मा और मौत को रख याद सर्वदा,
यह मत जान जग से विदाई हो नहीं सकती।

अज्ञान में विद्वान का अभिमान मत चढ़ा,
किसी से कभी सत्य की हंसाई हो नहीं सकती।

बन आत्म निर्भर होश कर आलस प्रमाद छोड़,
आजीवन तेरे से पोसाई हो नहीं सकती। ।

शुम कर्म , वेद ज्ञान , सत्य – धर्म के बिना,
बाबूराम कवि तेरी बड़ाई हो नहीं सकती।
बाबुराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ,विजयीपुर
गोपालगंज ( बिहार)841508
मो॰ नं॰ – 9572105032

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