जन्माष्टमी पर दोहे
भादौ मास अष्ठम तिथि , प्रकटे कृष्ण मुरार।
प्रहरी सब अचेत हुए , जेल गये खुल द्वार।।1
जमुना जी उफान करे, पैर छुआ कर शान्त।
वासुदेव धर टोकरी , नन्द राज के कान्त।।2
कंस बङा व्याकुल हुआ,ढूढे अष्ठम बाल।
नगर गांव सब ढूंढकर ,मारे अनेक लाल।।3
मधुर मुरलिया जब बजी,रीझ गये सब ग्वाल।
नट नागर नटखट बङा , दौङे आये बाल।।4
कृष्ण सुदामा मित्रता , नहीं भेद प्रभु कीन।
तीन लोक की संपदा , दो मुठ्ठी में दीन।।5
कृष्ण मीत सा कब मिले, रखे सुदामा प्रीत।
सदा निभाया साथ है, बनी यही है रीत।6
असुवन जल प्रभु पाँव धो,कहे मीत दुख पाय।
इतने दिन आये नहीं, हाय सखा दुख पाय।।7
मदन सिंह शेखावत ढोढसर स्वरचित