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मातृभूमि को नमन- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

मातृभूमि को नमन- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस मातृभूमि को नमन करते मेरे नयन
अविचल छाया करती है जिसका ह्रदय स्पंदन

वीरांगनाओं ने किया जिस भूमि पर सर्वस्व समर्पण
उन वीरों की पावन धरती को नमन करते मेरे नयन

देश प्रेम की ज्योति जलाई करके वीरों ने सर्वस्व समर्पण
उन वीरों की पावन भूमि को नमन करते मेरे नयन

कृष्ण की इस पावन भूमि से उपजा प्रेम बंधन
इस प्रेम बंधन को नमन करते मेरे नयन

ऋषियों मुनियों की इस भूमि ने दिया तपोधन
इस तपोभूमि को नमन करते मरे नयन

राम की इस धरती ने दिया आदर्श का धन
राम के आदर्श को नमन करते मेरे नयन

सूफी संतों की इस भूमि ने दिया मानवता का मन्त्र
सूफी संतों की इस पावन भूमि को नमन करते मेरे नयन

कल्पना और राकेश ने दिया आसमां को छूने का मंन्त्र
उन वैज्ञानिकों की इस पावन भूमि को नमन करते मेरे नयन

इस मातृभूमि को नमन करते मेरे नयन
अविचल छाया करती है जिसका ह्रदय स्पंदन

इस मातृभूमि को नमन करते मेरे नयन
इस मातृभूमि को नमन करते मेरे नयन

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