मनीभाई की तांका

तांका

मनीभाई की तांका नंद के लालाब्रज का तू गोपालाहै भोला भालाभाये बांसुरी तेरीछाये प्रेम घनेरी।। -मनीभाई ●●●●●●●●●●नाचते देखादेव विसर्जन मेंलोगों कोलिए फूहड़पनडीजे केे तरानों में।●●●●●●●●●●मैं नहीं एकमेरे रूप अनेकमैं ही ना जानूँ मेरी हकीकत कोमुझसे मिला दे तू।●●●●●●●●●●मनीभाई ‘नवरत्न’ मनीभाई की ताकाँ आता न कलमहाकाल विजेताकर तो शुरूअपना अभियानलाना गर तूफान।

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शीत ऋतु पर ताँका

शीत ऋतु पर ताँका

शीत ऋतु पर ताँका {01}ऋतु हेमंत नहला गई ओसधरा का मनतन बदन गीलेहाड़ों में ठिठुरन । {02}लाए हेमंत दांतों में किटकिटहाड़ों में कंपसर्द सजी सुबह कोहरा भरी शाम । {03}हेमंत साथकिटकिटाए दाँत झुग्गी में रात ढूँढ रहे अलाव काँपते हुए हाथ । □ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”

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अवि के हाइकु

हाइकु

अवि के हाइकु जीवन पथप्रेम और संघर्षदुलारा बेटा मनमोहनबलिहारि जाँऊ मैंतेरी मुस्कान मां हूँ मैंलड़ूंगी भूख से मैंये अग्निपथ समर्पित हैतुझ पे ये जीवनराज दुलारा ©अविअविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा

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किसान पर हाइकु

किसान पर हाइकु

किसान पर हाइकु मेघ बरसेअनचाही बारिशटूटती आस खड़ी फसलहो रही है बर्बादरोता किसान खेत हैं सूखेभूख कौन मिटायेंबंजर धरा। रस्सी के फंदेशाहकारों का कर्जलम्बी गर्दन। कर्ज से मुक्तिशासन से राहतकृषक हंसा। अविनाश तिवारी

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राख विषय पर हाइकु -रमेश कुमार सोनी

हाइकु

राख विषय पर हाइकु- रमेश कुमार सोनी 1 मोक्ष ढूंढने चला – चली की बेला राख हो चला ।। 2 राख का डर जिंदगी ना रुकती मौत है सखी ।। 3 पानी जिंदगी अग्नि , राख की सखी नहीं निभती ।। 4 राख बैठे हैं भूखे – प्यासे बेचारेशमशान गाँव ।। 5 राख तौलते सब … Read more

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हाइकु त्रयी

हाइकु

हाइकु त्रयी [१]कोहरा घनाजंगल है दुबका दूर क्षितिज! [२]कोहरा ढांपे न दिखे कुछ पार ओझल ताल [३]हाथ रगड़ कुछ गर्माहट होकांपता हाड़ निमाई प्रधान’क्षितिज’*

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शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन

शीत ऋतु पर हाइकु

शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन          सिंदुरी भोर      धरा के मांग  सजी        लागे दुल्हन         नव रूपसी      दुब मखमली  सी        छवि न्यारी  सी          कोहरा छाया     एक पक्ष वक्त  का      दुखों  का साया         शीत अपार    स्वर्णिम रवि रश्मि        सुख स्वरूप        ओस के मोती       जीवन के  … Read more

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वीणा के हाइकु

वीणा के हाइकु 1-कृष्णमुरारीबालभद्र,सुभद्रारथ सवारी।2-हरितालिकापति की लम्बी आयुपत्नी निर्जला।3-स्वयं विश्वासमिलेगी सफलतामंजिल पास।4-लाल गुब्बाराबालक खेल रहाबम धमाका।5-मणिकर्णिकाअंतरिक्ष पे बैठीहिन्द की नारी।          *सविता बरई “वीणा”सीतापुर, सरगुजा,(छ.ग.)

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सुधा राठौर जी के हाइकु

सुधा राठौर जी के हाइकु छलक गयापूरबी के हाथों सेकनक घट★बहने लगींसुनहरी रश्मियाँविहान-पथ★चुग रहे हैंहवाओं के पखेरूधूप की उष्मा★झूलने लगींशाख़ों के झूलों परस्वर्ण किरणें★नभ में गूँजेपखेरुओं के स्वरप्रभात गान सुधा राठौर

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निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु

निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु *[1]* *हे रघुवीर!**मन में रावण है* *करो संहार ।* *[2]**सदियाँ बीतीं* *वहीं की वहीं टिकीं* *विद्रूपताएँ ।* *[3]**जाति-जंजाल**पैठा अंदर तक**करो विमर्श ।* *[4]**दुःखी किसान* *सूखे खेत हैं सारे* *चिंता-वितान* *[5]**कृषक रुष्ट* *बचा आख़िरी रास्ता* *क्रांति का रुख़* *[6]**प्रकृति-मित्र!**सब भूले तुमको**बड़ा विचित्र!!* *[7]* *अथक श्रम* *जाड़ा-घाम-बारिश* *नहीं विश्राम* *[8]**बंजर भूमि**फसल कहाँ से … Read more

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