पितृ पक्ष पर कविता 2021 -राजेश पान्डेय वत्स (मनहरण घनाक्षरी)

हम यहाँ पर आपको पितृ पक्ष पर कविता प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है आपको यह पसंद आएगी .

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भारत माँ के सपूत

भारत माँ के सपूत

भारत माँ के सपूत – घनाक्षरी चाहे ठंड का कहरआधी रात का पहरतिलभर न हिलते,खड़े , सीना तान के। डरते न तूफान सेडटे हैं बड़ी शान सेभूख ,प्यास ,नींद छोड़,रखवारे मान के। समर्पित हैं देश कोमातृ -भू जगदीश कोतन, मन ,धन सब,सुर -लय गान के। लगे सब देव दूतभारत माँ के सपूतबचाये त्रासदी से वो,निज … Read more

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माँ शारदे पर कविता

sharde maa

माँ शारदे पर कविता (देव घनाक्षरी) नमन मात शारदेअज्ञानता से तार देकरुणा की धार बहामुख में दो ज्ञान कवल।। वीणा पुस्तकधारिणीभारती ब्रह्मचारिणीशब्दों में शक्ति भरदोवाणी में दो शब्द नवल।। हंस की सवारी करेतमस अज्ञान हरेरोशन जहान करेपहने माँं वस्त्र धवल।। अज्ञानी है माता हमकरिए दोषों को शमज्ञान का दान कर दोबढ़ जाएगा बुद्धि बल।। ✍️ … Read more

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शिव – मनहरण घनाक्षरी

bhagwan Shiv

शिव – मनहरण घनाक्षरी उमा कंत शिव भोले, डमरू की तान डोले, भंग संग  भस्म धारी, नाग कंठ हार है। शीश जटा चंद्रछवि, लेख रचे ब्रह्म कवि, गंग का विहार शीश, पुण्य प्राण धार है। नील कंठ  महादेव, शिव शिवा एकमेव, शुभ्र वेष  मृग छाल, शैल ही विहार है। किए काम नाश देह, सृष्टि सार  … Read more

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मुख पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

कविता संग्रह

मुख पर कविता -मनहरण घनाक्षरी गैया बोली शुभ शुभ, सुबह से रात तक,कौआ बोली हितकारी,चपल जासूस के! हाथी मुख चिंघाड़े हैं, शुभ मानो गजानन,सियार के मुख कहे,बोली चापलूस के! मीठे स्वर कोयल के, बसंत में मधु घोले,तोता कहे राम राम,मिर्ची रस चूस के! राम के भजन बिन, मुख किस काम आये,वत्स कहे ब्यर्थ अंग,खाये मात्र … Read more

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रसोईघर पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

छंद

रसोईघर पर कविता (छंद-मनहरण घनाक्षरी) अँगीठी माचीस काठ,कंडा चूल्हा और राख, गोरसी सिगड़ी भट्टी, *देवता रसोई के!* सिल बट्टा झाँपी चक्की,मथनी चलनी चौकी,कड़ाही तसला तवा, *वस्तु कोई-कोई के!* केतली कटोरा कुप्पी,बर्तन मूसल पीढ़ा, गिलास चम्मच थाली, *रखे सब धोई के!* मटका सुराही घड़ा,ढक्कन चम्मच बड़ा, कोना बाल्टी सजा वत्स, *भवन नंदोई के!* -राजेश पाण्डेय वत्स

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सुभाष चंद्र बोस – डॉ एन के सेठी

subhashchandra bos

सुभाष चंद्र बोस – डॉ एन के सेठी आजादी के नायक थेमातृभू उन्नायक थेजीवन अर्पण कियाऐसे त्यागी वीर थे।। भारत माँ हुई धन्यदेशभक्ति थी अनन्यजयहिन्द किया घोषकर्मयोगी वीर थे।। त्याग दिया घर बारकिया वतन को प्यारशत्रु के लिए सदा वोतेज शमशीर थे।। भारत माँ के सपूतसाहस भरा अकूतझुके नहीं रुके नहींदेश तकदीर थे।। नाम सुभाष … Read more

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5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर मनहरण घनाक्षरी रचना

फुल

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर मनहरण घनाक्षरी रचना ★ पर्यावरण और मानव★ धरा का श्रृंगार देता, चारो ओर पाया जाता,इसकी आगोश में ही, दुनिया ये रहती।धूप छाँव जल नमीं, वायु वृक्ष और जमीं,जीव सहभागिता को, पर्यावरण कहती। पर देखो मूढ़ बुद्धि, नही रही नर सुधि,काट दिए वृक्ष देखो, धरा लगे जलती।कहीं सूखा तूफ़ां कहीं, … Read more

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युवा वर्ग आगे बढ़ें

युवा वर्ग आगे बढ़ें छन्द – मनहरण घनाक्षरी युवा वर्ग आगे बढ़ें,उन्नति की सीढ़ी चढ़ें,नूतन समाज गढ़ें,एकता बनाइये। नूतन विचार लिए,कर्तव्यों का भार लिए,श्रम अंगीकार किए,कदम बढ़ाइए। आँधियाँ हैं सीमा पार,काँधे पे है देश भार,राष्ट्र का करें उद्धार,वक्त पहचानिए। बहकावे में न आयें,शिक्षा श्रम अपनायें,राष्ट्र संपत्ति बचायें,आग न लगाइए। ✍सुश्री गीता उपाध्याय रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

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