माँ शारदे पर कविता (देव घनाक्षरी)
नमन मात शारदे
अज्ञानता से तार दे
करुणा की धार बहा
मुख में दो ज्ञान कवल।।
वीणा पुस्तकधारिणी
भारती ब्रह्मचारिणी
शब्दों में शक्ति भरदो
वाणी में दो शब्द नवल।।
हंस की सवारी करे
तमस अज्ञान हरे
रोशन जहान करे
पहने माँं वस्त्र धवल।।
अज्ञानी है माता हम
करिए दोषों को शम
ज्ञान का दान कर दो
बढ़ जाएगा बुद्धि बल।।
✍️ डॉ एन के सेठी