नव सुर-दात्री

नव सुर-दात्री

नव सुर-दात्री,नव लय-दात्रीनव – गान मयी,नव तान – मयी।        देवी मैं हूँ  अति अज्ञानी       नहीं है जग में   तुमसा  दानी        माँ! दान दो नव अक्षरो  का       माँ दान दो नवलय  स्वरो का जग- सृष्टा की मानस – कन्याबुद्धि दाता  न तुझसी अन्या।।          शारदे! वागेश-  वीणा – धारणी          भारती! भारत- सुतों की तारणी          नव … Read more

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जय जय वरदानी

जय जय वरदानी

जय जय वरदानी जयति मातु जय जय वरदानी।सब जग पूजे मुनि जन ज्ञानी।।नित नित ध्यान करूँ मैं माता।तुम सब जन की भाग्य विधाता।। मातु ज्ञान की तुम हो सागर।जगत ज्ञान से करो उजागर।।सदा मातु बसना तुम वाणी।जय जय वंदन वीणापाणी।।           …..भुवन बिष्ट

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श्री नाथ की स्तुति – डॉ मनोरमा चंद्रा रमा

गेय कविता

यहां पर कवियत्री डॉ मनोरमा चंद्रा रमा द्वारा रचित कविता श्रीनाथ की स्तुति आपके समक्ष प्रस्तुत है श्री नाथ की स्तुति स्तुति कर श्री नाथ की, कृपा मिले भगवंत।कण-कण ईश विराजते, उनका आदि न अंत।। मिले प्रशंसा खास तो, रहना शुक्र गुजार।नम्र भावना से सदा, करें प्रकट आभार।। ध्यान धरे मन अर्चना, स्तुति पावन भाव।भक्ति … Read more

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शिवरात्रि पर कविता

गेय कविता

शिवरात्रि पर कविता शिव को ध्याने के लिए लो आ गई रात्रि।मौका मिला है शिव की करने को चाकरी। शिव को मनाने के लिए बस श्रद्धा चाहिए।शिव को पाना जो चाहो तो नजरिया चाहिए।हो मुक्कमल सफ़र अपना और जाए यात्री। हम जन्म मरण से मुक्त हों और पाएं मोक्ष को।मंजिल कठिन हो चाहे पर अर्जुन … Read more

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शिव महिमा कविता

गेय कविता

शिव महिमा कविता शिव शिवा शिव शिवा शिव शिवा ।शिव शव हैं……शिवा के सिवा। शिव अपूर्ण हैं शक्ति के बिनाशक्ति कब पूर्ण हैं शिव के बिनाअनुराग का सत इनका है वफ़ा। लोचन मोचन वि..मोचन सबल तुम होकांति चमक दामिनी सकल तुम होकायनात का कण तूने है रचा। वो अर्धनारी वो अर्धपुरुष हैंऋषि मुनि के हर तो … Read more

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राम नारायण हरि-अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

गेय कविता

राम नारायण हरि राम नारायण हरि, श्री कृष्ण नारायण हरिशिव नारायण हरि, गोविंद नारायण हरि मातृ नारायण हरि, श्री पितृ नारायण हरिकुल देव नारायण हरि, स्थान देव नारायण हरि श्याम नारायण हरि, श्री राधे नारायण हरिग्वालों के नारायण हरि, वृंदावन के नारायण हरि हरिद्वार के नारायण हरि, गौओं के नारायण हरिजगन्नाथ नारायण हरि, बाल गोपाल … Read more

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महाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

गेय कविता

महाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना बने आप भोले जहर पी लिया सब, लगें आप हमको सब से ही न्यारेनिवेदन करें हम महादेव प्यारे, न डूबें कभी भी हमारे सितारे। बजे हर तरफ आपका खूब डंका, न होती किसी को कहीं आज शंकाभवानी की चाहत हो क्यों न पूरी, बनी थी तभी तो सोने की … Read more

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वागेश्वरी वंदना

गेय कविता

वागेश्वरी वंदना माँ वीणावादिनी , मां बुद्धिदायिनी तव महिमा है अपरंपार कर माते तू लोकाद्धार तव ममता से जग आलोकित ज्योतिर्मय जग जगमग शोभित गाता नवगीत संसार………! वागेश्वरी , माँ ज्ञानदायिनि , सबको देती बुद्धि, ज्ञान , तव दृग जग का कल्पना द्वार……! दृष्टि से सृष्टि आलोकित तेज से जगजीवन है शोभित तव कृपावश ज्ञान … Read more

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बसंत पंचमी पर गीत – सुशी सक्सेना

गेय कविता

मेरे मन का बसंत बसंत ऋतु का, यहां हर कोई दिवाना है।क्या करें कि ये मौसम ही बड़ा सुहाना है।हर जुबां पर होती है, बसंत ऋतु की कहानी।सुबह भी खिली खिली, शाम भी लगती दिवानी। चिड़ियों ने चहक कर, सबको बता दिया।बसंत ऋतु के आगमन का पता सुना दिया।पतझड़ बीत गया, बन गया बसंती बादल।पीली … Read more

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सरस्वती वंदना

गेय कविता

सरस्वती वंदना हँसवाहिनी माँ की जय जय वीणावादिनी जय हो शुभ्रज्योत्स्ना भरो हृदयमें अन्धकार सब क्षय हो पद्मासना श्वेत वस्त्रा माँ तेरी जय जय जय हो 2 पुलकित ज्ञान ज्योति में मेरी सद्बुद्धि की लय हो ज्ञानदायिनी तब प्रकाश में मेरा तिमिर विलय हो कमल आसनी वागीश्वरी माँ तेरी जय जय जय हो 3 तेरे … Read more

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