शबरी पर कविता/ सौदामिनी खरे दामिनी

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शबरी पर कविता/ सौदामिनी खरे दामिनी

shabri
शबरी


शबरी सी भक्ति मिले,
जीवन सुगम चले,
प्रभु के आशीष तले,
होवे नवल विहान।

यह भीलनी साधना,
रही निष्काम भावना,
कठिनाई से सामना,
गुरु वचनों को मान।

लोभ मोह छोड़कर,
भक्ति भाव जोड़ कर,
राम नाम बोल कर,
लगाया प्रभु से ध्यान।

मीठे बेरों को तोड़ती,
वो कुटिया बुहारती,
फूल राहों में डालती,
ढलता है अवशान।।

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।