shabri
शबरी

शबरी पर कविता/ सौदामिनी खरे दामिनी

शबरी पर कविता/ सौदामिनी खरे दामिनी शबरी शबरी सी भक्ति मिले,जीवन सुगम चले,प्रभु के आशीष तले,होवे नवल विहान।यह भीलनी साधना,रही निष्काम भावना,कठिनाई से सामना,गुरु वचनों को मान।लोभ मोह छोड़कर,भक्ति भाव…

Continue Readingशबरी पर कविता/ सौदामिनी खरे दामिनी

शबरी का बेर

कविता -शबरी के बेर शबरी का वह बेर नही था सच्ची भक्ती प्रेम वही था ना छुआछूत ना जाति पात भाव भक्ति अनमोल वही था शबरी का संदेश यही था,…

Continue Readingशबरी का बेर

शबरी (अनुगीत छंद) – बाबू लाल शर्मा

विधान-- २६ मात्रा प्रति चरण चार चरण दो-दो समतुकांत हो १६,२६ वीं मात्रा पर यति हो चरणांत लघु १ हो।

Continue Readingशबरी (अनुगीत छंद) – बाबू लाल शर्मा

शबरी के बेर(चौपाई छंद)

शबरी के बेर(चौपाई छंद) छंद त्रेता युग की कहूँ कहानी।बात पुरानी नहीं अजानी।।शबरी थी इक भील कुमारी।शुद्ध हृदय मति शील अचारी।।१ बड़ी भई तब पितु की सोचा।ब्याह बरात रीति अति…

Continue Readingशबरी के बेर(चौपाई छंद)