मीत बना कर लो रख हे गिरधारी/गीता द्विवेदी

मीत बना कर लो रख हे गिरधारी

goverdhan shri krishna

(1)

आकर देख जरा अब हालत मैं दुखिया बन बाट निहारी।
श्यामल रूप रिझा मन मीत बना कर लो रख हे गिरधारी।
काजल नैन नहीं टिकता गजरा बिखरे कब कौन सँवारी।
चाह घनेर भयो विधि लेखन टारन को अड़ते बनवारी।।

(2)

कातर भाव पुकार रही हिरणी प्रभु आकर प्राण बचाओ।
नाहर घेर लिया कुछ सूझ नहीं मति में अब राह दिखाओ।
शाम हुई सब मित्र गये इस संकट से तुम पार लगाओ।
कम्पित मात गुहार सुनो अब देर दयानिधि क्यों बतलाओ।।

गीता द्विवेदी

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

This Post Has 0 Comments

  1. राज नारायण द्विवेदी

    सराहनीय …साहित्य में .. अच्छी पकड़

  2. राज नारायण द्विवेदी

    सराहनीय रचना । भावपूर्ण । छंदयुक्त रचना सृजन साहित्यिक दक्षता का परिचायक है ।

Leave a Reply