क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से
क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से झलकत, नैनन की गगरियाँ,झलक उठे, अश्रु - धार,क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से,बेहिन्तहा, होकर बेकरार! तड़पत - तड़पत हुई मै बावरी,ज्यों तड़पत जल बिन मछली,कब दर्शन…
भाद्रपद कृष्ण श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे केवल जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है, एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो विष्णुजी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के आठवें दिन (अष्टमी) को भाद्रपद में मनाया जाता है ।
क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से झलकत, नैनन की गगरियाँ,झलक उठे, अश्रु - धार,क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से,बेहिन्तहा, होकर बेकरार! तड़पत - तड़पत हुई मै बावरी,ज्यों तड़पत जल बिन मछली,कब दर्शन…
मीत बना कर लो रख हे गिरधारी (1) आकर देख जरा अब हालत मैं दुखिया बन बाट निहारी।श्यामल रूप रिझा मन मीत बना कर लो रख हे गिरधारी।काजल नैन नहीं…
प्रस्तुत गीत या गेय कविता/भजन ---- मेरे गिरधर, मेरे कन्हाई जी ---डी कुमार--अजस्र द्वारा स्वरचित गीत या भजन के रूप में सृजित है ।
गोकुल में कृष्ण जन्मोत्सव जन्म उत्सव मोहन का, देखन देव महान।भेष बदल यादव बनें ,यशोदा के मकान ।।सब देवों की नारियाँ ,ले मन पावन प्रीत। बनी रूप तज गोपियाँ ,गाती …
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा श्री राधाकृष्ण तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।आओ कन्हाई आओ कन्हाईतुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा---- कान्हा तूने राधा से प्रीत लगाकरभूले…
यहां पर राधा कृष्ण के अन्यय प्रेम को कविता का रूप दिया गया है।
नटखट नंद किशोर कविता संग्रह चोरी करके छुप गया , नटखट नंद किशोर ।सभी गोपियाँ ढूँढती , प्यारा माखन चोर ।।प्यारा माखन चोर , शिकायत माँ से करते ।दधि की…
राधा और श्याम की प्रेम कविता तू मेरी राधा मैं तेरा श्याम हूं।तुमसे प्रेम करके मैं बदनाम हूं। तुझे देखें बिन ,मेरी जीवन की बांसुरी में सूर कहां? तू है…
हो मुरलिया रे / केवरा यदु "मीरा" Shri Krishna हो मुरलिया रे तँय का का दान पुन करे हस।तँय का का दान पुन करे हस।तोर बिना राहय नहीं कान्हा ओकरे…
कृष्ण पर आधारित कविता -मनीभाई नवरत्न https://youtu.be/ixPbgAmlRZQ हे कृष्ण !आप सर्वत्र।फिर भी खोजता हूँ;अगर कहूं आप पूर्ण हो ।तो सत्य भी हो जायेगा असत्य।चूंकि मैं अपूर्ण जो ठहरा । हे…