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नटखट नंद किशोर- नीरामणी श्रीवास

नटखट नंद किशोर

goverdhan shri krishna
कविता संग्रह

चोरी करके छुप गया , नटखट नंद किशोर ।
सभी गोपियाँ ढूँढती , प्यारा माखन चोर ।।
प्यारा माखन चोर , शिकायत माँ से करते ।
दधि की मटकी फोड़ , चैन हम सबकी हरते ।।
नियति कहे कर जोड़ , अनूठी लीला तोरी ।
प्रेम भक्ति की मान , बचाने करते चोरी ।।

चोरी करते देखकर , बाँधी माँ ले डोर ।
डोरी कम पड़ती गई , कसती माँ जब छोर ।।
कसती माँ जब छोर , हार कर बोली मैया ।
जादूगर शैतान , हाय हंँसता है दैया ।।
बँधे प्रेम के पाश , पुलकती गोकुल गोरी ।
‌ममता वश मिल साथ ,कराये माखन चोरी ।।

चोरी करना पाप है , सिखलाते पितु मात ।
पुत्र बुराई से बचे , सुरभित हो हर नात ‌।।
सुरभित हो हर नात , यही शिक्षक भी कहते ।
करके मेहनत नित्य , खुशी से दामन भरते ।।
नियति कहे कर जोड़ , नहीं कर सीना जोरी ।
मात पिता सम्मान , रहे मत करना चोरी ।।

नीरामणी श्रीवास नियति
कसडोल छत्तीसगढ़

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