हम जैसे चलते हैं तुम भी चलो ना

हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना।
हम जैसे रहते हैं , तुम भी रहो ना। ।

बहती हुई नदियां देखो , कल-कल बहती है ,
कल-कल बहती है और , सागर में मिल जाती है।

नदिया यह कहती है , तुम भी कहो ना ,
हम जैसे बहते हैं , तुम भी बहो ना
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना। ।

पत्थर की मूरत देखो , पहले तो यह पत्थर थी ,
चोटों को सहते – सहते सूरत बन गई।
मूरत यह कहती है , तुम भी कहो ना
हम जैसे सहते हैं , तुम भी सहो ना
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना। ।

जलता हुआ दीपक देखो , जगमग – जगमग करता है ,
जगमग – जगमग करता है , अंधेरा दूर करता है ,
दीपक यह कहता है , तुम भी कहो ना
हम जैसे जलते हैं , तुम भी जलो ना
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना
हम जैसे रहते हैं , तुम भी रहो ना
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना। ।

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।