शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद

शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद

1—-

उज्ज्वल- उज्ज्वल है धरा,चंद्र -किरण बरसात ।

चाँद गगन से झाँकता ,रूप मनोहर गात।।

रूप मनोहर गात ,रजत सम बहती धारा।

लिए शरद सौगात ,चंद्र का रूप निखारा।।

कहे सुधा सुन मीत , प्रीत है मन का प्राँजल। 

सजे पुनों की रात ,धरा है उज्ज्वल उज्ज्वल।।

2—

छम-छम बजती पायलें , हुई चाँदनी रात।।

मधुवन मधुरव गूँजते ,मधुर हदय की बात।।

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मधुर हदय की बात ,वंशिका गीत सुनाए।

मचल रहे जजबात ,प्रीत परवान चढ़ाए।।

कहे सुधा सुन मीत ,प्रेम बरसे अति पावन। 

नाचे राधेश्याम , बजे  पायल हैं छमछम।।

3—

ओढ़ी  वसुधा देखिए ,दुग्ध चुनरिया आज।

चमक रहा नभ चाँद है , पहने चाँदी ताज।।

पहने चाँदी ताज , शीत की है अगवानी।

झरता मधुरस गात ,प्रीत की  रीत निभानी।

कहे सुधा सुन मीत , धरा है लगे नवोढ़ी।

रजत- रजत आभास ,च॔द्र- किरणें है ओढ़ी।।

सुधा शर्मा,राजिम छत्तीसगढ 

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