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जब होगा महक मिलन

जब होगा महक मिलन

मिला किताब में सूखा गलाब,
देख फिर  ताजगी सी आई।

याद आ गया वो सारा मंजर
फिर खुद से खुद ही शरमाई।

वो हसीन पल थे खुशियों भरा
साज बजा ज्यो रागिनी आई।

धड़कने दिल  की हुई बेकाबू
गात ने ली फिर से अंगड़ाई।

अब जब होगा “महक” मिलन
सोंच अंग में सिहरन भर आई।

  मधु गुप्ता “महक”

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