मैं जीने लगी
मैं जीने लगी वक्त का सरकनाऔर उनके पीछेमेरा दौड़ना ये खेल निरन्तर चल रहा हैकहाँ थे औरकहाँ आ गये। कलेन्डर बदलता रहा पर मैं यथावतजीने की कोशिशभागंमभाग जिन्दगी कितना समेटूमैं…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० मधु गुप्ता महक के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
मैं जीने लगी वक्त का सरकनाऔर उनके पीछेमेरा दौड़ना ये खेल निरन्तर चल रहा हैकहाँ थे औरकहाँ आ गये। कलेन्डर बदलता रहा पर मैं यथावतजीने की कोशिशभागंमभाग जिन्दगी कितना समेटूमैं…
जब होगा महक मिलन मिला किताब में सूखा गलाब,देख फिर ताजगी सी आई। याद आ गया वो सारा मंजरफिर खुद से खुद ही शरमाई। वो हसीन पल थे खुशियों भरासाज…
मन की लालसा किसे कहे सच कहुं तो कोई लालसा रखी नहींमन की ललक किसी से कही नहीं क्यों कि जीवन है मुट्ठी में रेत धीरे धीरे फिसल रहा …
यहाँ पर शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता दिए गये हैं आपको कौन सी अच्छी लगी , नीचे कमेंट बॉक्स पर जरुर लिखें कविता संग्रह शीत ऋतु का आगमन घिरा कोहरा…
भारतीय नौ सेना प्रखर ओजस्वी नौजवानों,सुरक्षित है तुमसे वतन।विजयी तिरंगा फहराने वाले,जल सेना तुमको है नमन।विजय तिरंगा…………. प्रहरी सामुद्रिक सीमा के,देश की रक्षा तुमसे है।तोड़ के सारे कुचक्रों को,हर घर…
गोली एल्बेंडाजॉल आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, एक कहानी काम की।ध्यान पूर्वक सुनना इसको, बात छिपी है राज की। स्वाति…
अकड़ पर कविता जीवन के इस उम्र तकना जाने कितने मुर्दे देखे। कितनो को नहलाया तैयार भी कियाऔर पाया केवल अकड़सचमुच मुर्दो में अकड़ होती है लेकिन जीते जी इंसान …