अरुणा डोगरा शर्मा की “यह”जीवन का पाठ है योग” कविता सरल, प्रवाहमयी और प्रेरणादायक भाषा में रची गई है। कविता का उद्देश्य योग के सामूहिक अभ्यास के महत्व को रेखांकित करना और पाठकों को इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
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जीवन का पाठ है योग /अरुणा डोगरा शर्मा
भौतिक सुखों को त्याग कर ,
सही दिशा में प्रयास कर,
रहना अगर निरोग तुझे ,
मानव नित योग का उपयोग कर।।
पौराणिक संस्कृति संभाल उसका सार,
नहीं तो विदेशी कर देंगे तार तार,
युवा तुझे ही बनना होगा ढाल ,
न लुप्त होने देना योग विचार ।।
जीवन का पाठ है योग ,
आओ मिलकर करें सब लोग ,
आसन सीख कर सिखाएं ,
जीवन भर नहीं होगा रोग।।
अरुणा डोगरा शर्मा
८७२८००२५५५
“आओ मिलकर योग करें” कविता में कवयित्री अरुणा डोगरा शर्मा ने योग के सामूहिक और सामाजिक महत्व को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। कविता में बताया गया है कि मिल-जुल कर योग करने से न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि समाज में एकता, भाईचारा और सकारात्मकता भी बढ़ती है। योग का सामूहिक अभ्यास एक प्रेरणादायक और सहयोगी वातावरण का निर्माण करता है, जिसमें हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रेरित होता है। यह कविता पाठकों को योग के सामूहिक अभ्यास के लाभों को समझने और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करती है।