जननायक राम / श्रीमती ज्योत्स्ना मीणा
रचना विधा – कविता
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जननायक है राम
सबके मनमंदिर के ,
जनपालक हैं राम
सबके जीवन पथ के ।
सदा हो प्रणिपात
श्री राम चरणों में ,
श्रद्धा और विश्वास
राम के आदर्शों में ।
अनूप उदाहरण हैं
राम मर्यादा बन के ,
पुरूषोत्तम हैं राम
हर जनमानस के ।
हो कितने भी दाग
भले ही धवल चंद्र में ,
राम रहे सदा ही
निष्कलंक जन मन मे ।
सागर तोड़ दे सीमा
हिम छोड़ी हिमगिरि ने
किंतु न तोड़ा विश्वास
जन जन का राम ने ।
रचयिता -श्रीमती ज्योत्स्ना मीणा