खुद से वादा – सुशी सक्सेना

कविता संग्रह
कविता संग्रह

खुद से वादा

साहिब, खुद से भी एक वादा करना है।
मंजिल तक पहुंचने का इरादा करना है।
नित नए संघर्ष होंगे, जीवन के पथ पर,
मगर सवार हो कर, उत्साह के रथ पर।
कांटों भरा हो या फूलों भरा, जारी ये सफ़र रखना,
कदम जमीं पर हो, और आसमां पर नजर रखना।
मुश्किलें सर झुका दें, तेरे कदमों पर,
नित नए तुफां होंगे, जीवन के पथ पर,
नईया जब डगमगाने लगे तो धैर्य न खोना,
कदम जब लड़खड़ाने लगे तो तुम मत रोना।
खुद पे विश्वास और खुदा का जो साथ होगा,
सफलता का दामन, फिर तेरे हाथ होगा।
लहरा तो दुनिया में अपने साहस का परिचम
दिखला दो कि हम नहीं हैं, किसी से कम
झुकना नहीं है, किसी भी तुफान के आगे,
बस मंजिल तक पहुंच जाएं, ऐसे बढ़ाओ कदम।

Sushi….

सुशी सक्सेना

यह काव्य संकलन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवतरित लेखिका सुशी सक्सेना के सहयोग से हो पाई है । अभी आप इंदौर मध्यप्रदेश में हैं । अभी आप अवैतनिक संपादक और कवयित्री के रूप में kavitabahar.com में अपना सेवा दे रही है। आपकी लिखी शायरियां और कविताएं बहुत सी मैगजीन और न्यूज पेपर में प्रकाशित होती रहती हैं। मेरे सनम, जिंदगी की परिभाषा, नशा कलम का, मेरे साहिब, चाहतों की हवा आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

Leave a Reply