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करें मातु तुझको नमन शारदे

करें मातु तुझको नमन शारदे

करें मातु तुझको नमन शारदे।
गहें मातु तेरी शरण शारदे।।
कृपा यूँ करो हो सृजन नित्य ही।
न अभिमान आये कभी कृत्य की।।

सजें शब्द पावन नए भाव से।
मिलाएँ सभी स्वर नए चाव से।।
मिले शक्ति तेरी अँधेरा टले।
मिटे मूढ़ता ज्ञान सूरज जले।।

गढ़ें मार्ग ऐसा कि दुनियाँ चले।
मिले प्यार सम्मान भारत खिले।।
सृजन हो हमारा सभी के लिए।
जलें प्रेम सौहार्द के नित दिए।।

सरल हम बनें नेह सबसे करें।
सभी दिव्यता भाव मन में धरें।।
सहायक बनें एक दूजे सभी।
किसी को न दें कष्ट बाधा कभी।।

सभी ज्ञान अर्जन करें कर कृपा।
लुटा शब्द भंडार कुछ मत छिपा।।
बनें शुद्ध औ बुद्ध जनता सभी।
न आए यहाँ मातु विपदा कभी।।

सभी प्यार के गीत गाएँ यहाँ।
तजें सब बुराई कि देखे जहाँ।।
बनें कर्मयोगी जगत तार दे।
करें वंदना माँ सुनों शारदे।।

----गीता उपाध्याय'मंजरी' रायगढ़ छत्तीसगढ़

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