तेरे लिए करूं दुआ हर पल सदा

तेरे लिए करूं दुआ हर पल सदा

तेरे लिए करूं दुआ, हर पल सदा ,तुझे ना पता।
देखकर अनदेखा, ना कर जाने जा और ना सता।

ख्वाबों की लकीर, पर बनती है तेरी तस्वीर ।
छूना चाहूं, छू ना पाऊं हाथों में कैसी जंजीर?
फिर खो जाऊं ,ओझल हो जाऊं, मैं लापता।

तेरे लिए ….

चारों तरफ छाया हुआ है तेरा ही तेरा नजारा।
आंखों में है तू ही सदा मिलना चाहूँ मैं दुबारा ।
कैसा हाल है मदहोशी बेमिसाल है हो ना खता। तेरे लिए…

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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