करना हो तो काम बहुत हैं

करना हो तो काम बहुत हैं

नेकी के तो धाम बहुत हैं
करना हो तो काम बहुत हैं।
सोच समझ रखे जो बेहतर
उनके अपने नाम बहुत हैं।
प्रेम रंग गहरा होता है
रंगों के आयाम बहुत हैं।
गुण सम्पन्न बहुत होते हैं
वैसे तो बदनाम बहुत हैं।
इश्क़ खुदा से सीधी बातें
मन हल्का आराम बहुत है।
लक्ष्य एक पर पंथ अलग हैं
सभी में ताम झाम बहुत हैं।
✒कलम से
राजेश पाण्डेय अब्र
  अम्बिकापुर
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

Leave a Comment