गज़ल-मौत का क्या है
मौत का क्या है कभी तो आ ही जाएगी,,,
हयात का क्या है कभी तो खत्म हो ही जाएगी,,
सोचते रहते हैं हम तो उनके बारे में,,,
इंतजार की घड़ी कभी तो खत्म हो ही जाएगी,,
अंधेरा ही नज़र आता है हर तरफ,,,
आसमां की रात कभी तो खत्म हो ही जाएगी,,,
“सुखवीर” से बेशक प्यार करता नहीं कोई,,,
नफ़रत जमाने की कभी तो खत्म हो ही जाएगी,,,
नशे में डूबे रहते हैं दिन भर आंखो के,,,
मयखाने की शराब कभी तो खत्म हो ही जाएगी,,,
सुखवीर सिंह हरी
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वाह! बहुत सुन्दर