मेरे आँगन में आई नन्हीं चिड़िया

नन्ही सी चिड़िया कितनी मेहनत से घोसला बनती है बिना किसी स्वार्थ के एक दिन सभी बच्चे छोड़ जाते है और उड़ जाते है खुले आसमान में . हमें कुछ सिख मिलती है इस से ..

मेरे आँगन में आई नन्हीं चिड़िया

कविता संग्रह
कविता संग्रह

मेरे आंगन में आई एक चिड़िया
नन्हीं सी सावली सलोनी चिड़िया
रंग बिरंगे पंखो वाली
फुदक फुदक कर चीं चीं करती चिड़िया |
भोर समय में मुझे जगाती
मेरे आंगन में आई एक चिड़िया |

बिजली के तारों पर इठ्लाती चिड़िया
खम्बे पर घर बनाती चिड़िया
धुप आंधी बारिश सब सहती चिड़िया
मुझको उसपर तरस आया
दीवार पर लकड़ी का बक्शा लटकाया।
घास फूंस डालकर उसको ललचाया।
मेरे आँगन में आई एक चिड़िया |

हरे सूखे तिनके जोड़ के
मिया बीबी ने घर को सजाया।
फिर दो अंडे के साथ दो बच्चों ने जन्म लिया।
बच्चो की किलकारी से आँगन महकाया
मेरे आंगन में आई एक चिड़िया |

मिया बीबी निकल पड़ते खाने की तलाश में
अपने बच्चो का पेट भरने की लिए
खूब मेहनत करते खाना खिलाते
चोच से चोच मिलाकर प्यार जताते
रात को अपने पंखो की गर्मी में सुलाते
मेरे आंगन में आई एक चिड़िया |

समय का चक्र चला कुछ ऐसा
बच्चों के पंख निकल अब बड़े हुए
साथ साथ अब उड़ने की तयारी में लगे
खुले आकाश में जीने के लिए
अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने की लिए |
मेरे आंगन में आई एक चिड़िया |

एक दिन चिडया उडी खाने की खोज में
सुबह निकल पड़ी अपने राहो पर
लौटे तो शाम हो गयी
देखा घर में था सन्नाटा।
उड़ गये जिनको पाला था जतन से
खाली सुनसान पड़ा घर देख वो घबराये
ची ची कर वो फडफ्डाये मुस्कराए
फिर उड़ान भरी खुले आकाश में
एक नये जीवन की तलाश में।
एक नये जीवन की ..
मेरे आंगन में आई एक चिड़िया |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *