भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।
भीमराव आंबेडकर पर कविता (
Poem on BR Ambedkar in hindi)
जीवनभर समानता के लिए,
संघर्ष करने वाले बाबा को नमन्। ज्ञान के प्रतीक,प्रकाण्ड विद्वान,
विश्व प्रणेता,संविधान शिल्पकार को नमन्।।
विपुल प्रतिभा व ज्ञान के धनी,
जातिगत भेदभाव को जिसने दूर किया।
सामाजिक अव्यवस्था को दूरकर,
असमानता व भेदभाव को दूर किया।।
शिक्षा,सार्वजनिक स्वच्छता पर,
जिसने महत्वपूर्ण कार्य किया।
मानवतावाद,सत्य,अहिंसा,
भाईचारा का मार्ग प्रशस्त किया।।
दूरदृष्टि व समय के आगे की,
सोच की झलक दिखलाया।
लोगों में चेतना की लहर,
दौड़ाने के उद्देश्य में कामयाबी दिलाया।।
देश को सामाजिक न्याय,एकता का राह दिखाया।
समाजहित में सदैव कार्य कर समृद्ध बनाया।।
बेजुबान,शोषित,अशिक्षित लोगों को जागृत किये।
समता,बंधुत्व का कार्यकर महामानव कहलाये।।
शिक्षित बनो,संगठित रहो,संघर्ष करो का दिया नारा।
संविधान निर्माण में अतुलनीय योगदान देकर,बन गए भीम प्यारा।।
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-:स्वरचित रचना:-
रचनाकार:- प्रेमचन्द साव “प्रेम”
बसना,छ.ग.
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