नभ में छाए काले मेघ

नभ में छाए काले मेघ

kavita

नभ में छाए काले मेघ.
झूमती धरती इसको देख.
बिन नीर प्यासी धरा पर,
मेघ लाते आशाएं अनेक।

खेत लहराए अपनी आँचल,
बागों में आ जाती नई जान.
रंग-बिरंगी कोमल पुष्पों से,
छा जाती लबों में मुस्कान.

हरियाली और खुशहाली,
अब सुखहाली भी आएगी.
बरसों से संजोया सपना ,
वो भी अब पूरी हो जाएगी.

आज तपी सूखी मिट्टी पर,
गिरे पानी लेके काली की भेष.
बिजली जिसका आगमन संदेश.
देर न करो अब, हे देव अमरेश!
नभ में छाए काले मेघ.

संगीता

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