चिकित्सक/ डाक्टर दिवस पर हिंदी कविता

चिकित्सक/ डाक्टर दिवस पर हिंदी कविता

चिकित्सक

हिय में सेवा भावना, नहीं किसी से बैर।
स्वास्थ्य सभी का ठीक हो, त्याग दिए सुख सैर।।
नित्य चिकित्सक कर्म रत, करे नहीं आराम।
लड़ते अंतिम श्वांस तक,चाहे सबकी खैर।।

कठिन परीक्षा पास कर, बने चिकित्सक देख।
धरती के भगवान है, बदले किस्मत रेख।।
आओ हम सम्मान दे, उनको मिलकर आज।
उठा शुभम कर लेखनी, लिख दो सुन्दर लेख।।

नित्य किताबों में गडे़ , करते हैं नव खोज।
ढूँढे रोग निदान वह, त्यागे छप्पन भोज।।
पल भर की फुरसत नहीं, तज के घर परिवार।
नस-नस में ऊर्जा भरे, ऐसा उनका ओज।।

नीरामणी श्रीवास नियति
 कसडोल छत्तीसगढ़

काम डॉक्टर साहब आएँ

जीवन में आखिर कब तक हम, बोलो स्वस्थ यहाँ रह पाएँ
बीमारी से पीड़ित हों तो, काम डॉक्टर साहब आएँ।

मानव तन इतना कोमल है, देता है सबको लाचारी
तरह -तरह के रोगों से अब, घिरे हुए कितने नर- नारी
बेचैनी जब बढ़ जाती है, रात कटे तब जगकर सारी
बोझ लगे जीवन जब हमको, बने समस्या यह फिर भारी

मौत खड़ी जब लगे सामने, तब दिन में तारे दिख जाएँ
बीमारी से पीड़ित हों तो, काम डॉक्टर साहब आएँ।

अपनी भूख- प्यास को भूले, सेवा में दिन- रात लगे हैं
धन्य डॉक्टर साहब ऐसे, जन-जन के वे हुए सगे हैं
सचमुच देवदूत हैं वे अब, उन्हें देख यमदूत भगे हैं
मौत निकट जो समझ रहे, उनमें जीवन के भाव जगे हैं

जिनके पास नहीं हो पैसा, उनका भी वे साथ निभाएँ
बीमारी से पीड़ित हों तो, काम डॉक्टर साहब आएँ।

जीव-जंतुओं के इलाज में, लगे हुए उनको क्यों भूलें
पशु- पक्षी की सेवा करके, आज यहाँ वे मन को छू लें
जो भी हमसे जुड़े हुए हैं, उन्हें देखकर अब हम फूलें
आओ उनके साथ आज हम, सद्भावों का झूला झूलें

जिनके आगे लगे डॉक्टर, उनकी महिमा को हम गाएँ
बीमारी से पीड़ित हों तो, काम डॉक्टर साहब आएँ।

रचनाकार- उपमेंद्र सक्सेना एड०
‘कुमुद- निवास’
बरेली (उ० प्र०)

बिन चिकित्सक सब बेहाल

मानव कंपित, दुखी बहुत
आज हुआ वो खस्ताहाल,
मंदिर मस्जिद बंद हो गए
काम आ रहे हैं अस्पताल।

हां मैं भी एक उपासक हूं
मानता हूं प्रभु का कमाल,
डॉक्टर उसकी श्रेष्ठ रचना,
काम कर रहे हैं बेमिसाल।

मंदिर का ईश्वर संबल देता
डॉक्टर पहना रहे जयमाल,
स्वस्थ होकर घर आते बच्चे
मांए चूम रही है उनके गाल।

मर्ज़ी तुम्हारी मानो ना मानो
बिन चिकित्सक सब बेहाल,
हर विपदा के सम्मुख खड़े हैं

देवकरण गंडास अरविन्द

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