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नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा

नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा

नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा
नमन तुम्हें से मातृभाषा
जीवंत तुम्हें अब रहना है
पुष्पों के जैसे खिलना है।

अंग्रेजों ने था अस्तित्व मिटाया
हिन्दी भाषा को मृत बनाया
अपनी भाषा का परचम लहराया
हमारी भाषा को हमसे किया पराया।

आजा़दी के बाद भी हिन्दी
संविधान में मौन पड़ी है
द्वितीय भाषा का कलंक झेलती
अंग्रेजी प्रथम स्थान पर खड़ी है।

राष्ट्र भाषा है नाम की हिन्दी
आज मेरे परिवेश में
हिन्दी की क्या दशा हो गई
गांधी तेरे देश में।

तुलसी,सूर,रहीम ने
हिन्दी का किया वंदन ।
जिस देश की भाषा हिन्दी है
उस देश की माटी है चंदन।

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आज हर क्षेत्र में आवश्यक अंग्रेजी
हिन्दी को फिर भी नहीं मरने देंगे
बिन निज भाषा के मातृभूमि हो
माँ को नहीं लुटने देंगे।

बहुत हो चुकी भाषा की गुलामी
नव प्रभात अब लाना है
हिन्द देश के अंबर पर
हिन्दी का ध्वज फहराना है।

हिन्द देश की वासी हूँ मैं
हिन्दी मेरी पहचान है
कहती आज कलम कुसुम की
हिन्दी मेरा स्वाभिमान है।

हिन्दी ही है पूजा मेरी
हिन्दी की बात सुनाती हूँ
हिन्दी ही है रोटी मेरी
हिन्दी के ही गुण गाती हूँ।

कुसुमलता पुंडोरा

नई दिल्ली

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