सुसंस्कृत मातृभाषा दिवस पर कविता

मातृभाषा दिवस पर कविता अपनी स्वरों में मुझको ‘साध’ लीजिए।मैं ‘मृदुला’, सरला, ले पग-पग आऊँगी।। हों गीत सृजित, लयबद्ध ‘ताल’ दीजिए।मधुरिमा, रस, छंद, सज-धज गाऊँगी।। सम्प्रेषित ‘भाव’ सतत समाहित कीजिए।अभिव्यंजित ‘माधुर्य’, रंग-बिरंगे लाऊँगी।‌। ‘मातृभाषा’ कर्णप्रिया, ‘सुसंस्कृत’ बोलिए।सर्व ‘हृदयस्थ’ रहूँ, ‘मान’ घर-घर पाऊँगी।। – शैलेंद्र नायक ‘शिशिर’

Loading

नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा

नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषानमन तुम्हें से मातृभाषाजीवंत तुम्हें अब रहना हैपुष्पों के जैसे खिलना है। अंग्रेजों ने था अस्तित्व मिटायाहिन्दी भाषा को मृत बनायाअपनी भाषा का परचम लहरायाहमारी भाषा को हमसे किया पराया। आजा़दी के बाद भी हिन्दीसंविधान में मौन पड़ी हैद्वितीय भाषा का कलंक झेलतीअंग्रेजी प्रथम स्थान पर खड़ी है। … Read more

Loading