न्याय प्रक्रिया में सुधार जरूरी है-संतोष नेमा “संतोष”

न्याय प्रक्रिया में सुधार

हैदराबाद
कांड पर जो
मानवाधिकार
वाले उन्हें
कल तक
अनाचारियों को
दानव कहते थे..!
और बड़े ही
बेफिक्री से
रहते थे.!!
आज उनका
अंजाम देख
उनकी
मानवता
जागी..!
बोले बिन
न्यायालय में
अपराध सिद्ध हुए
वो कहाँ हैं दागी..?
यह सुन एक
महिला
बौखलाई..!
बोली ये
दोगली नीति
कहाँ से आई..?
हम भी
न्यायालय के
निर्णय को
मानते हैं.!
पर न्याय
कब मिलेगा
ये भी जानते हैं..!!
निर्भया की
सज़ा अभी
बाकी है..!
पिछले
आठ वर्षों की
यह झांकी है..!!
इस पीड़ा को
आप क्या
समझेंगे.!!
आप सिर्फ
सबूतों को
ही परखेंगे..!!
“संतोष”न्याय में
अनावश्यक देरी भी
एक अन्याय है. !
यह उस परिवार
से पूछें
जिनका जीवन
स्याह है.!!
वक्त रहते
न्याय प्रक्रिया में
सुधार जरूरी है.!!
न्याय का
नया आकार
जरूरी है..!!
अन्यथा
जनता का
आक्रोश
न जाने क्या
रंग लाएगा..?
और ये
खुशनुमा
माहौल
बदरंग हो जाएगा.!!
देश में गर
सुरक्षित बेटियां
होंगी.!!
“संतोष”
तभी
अमन चैन की
रोटियां होंगी..!!
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@संतोष नेमा “संतोष”

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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