जस्टीशिया(न्याय की देवी) -रेखराम साहू

जस्टीशिया(न्याय की देवी) –रेखराम साहू न्याय की अवधारणा,प्रतिमूर्ति में साकार है।ग्रस्त जो अन्याय से,उनका लिखा उपचार है।। नेत्र की पट्टी प्रदर्शित कर रही निश्पक्षता।है तुला,हो न्याय में व्यवहार की समकक्षता।।न्याय के रक्षार्थ कर में शक्ति की तलवार है… शेष कितना मूल्य है,अब न्याय के प्रतिमान का !वंचना यह निर्बलों को , ढाल सत्तावान का।।लोभ या … Read more

Loading

क्या यही है “आस्था – शशि मित्तल “अमर”

kavita

आस्था धूम मची है,जय माता की… मंदिरों, पंडालों में, लगी है भीड़ भक्तों की.. क्या यही है “आस्था “? मन सशंकित है मेरा, वृद्धाश्रम में दिखती माताएँ… जो जनती हैं एक “वजूद”रचती हैं सृष्टि… थक जाती हैं तब, निकाल दी जाती हैं, एक अनंत अंधकार की ओर… कन्या भोजन, भंडारे का आयोजन!! पूजी जाती कन्याएं… … Read more

Loading

न्याय प्रक्रिया में सुधार जरूरी है-संतोष नेमा “संतोष”

न्याय प्रक्रिया में सुधार हैदराबादकांड पर जोमानवाधिकारवाले उन्हेंकल तकअनाचारियों कोदानव कहते थे..!और बड़े हीबेफिक्री सेरहते थे.!!आज उनकाअंजाम देखउनकीमानवताजागी..!बोले बिनन्यायालय मेंअपराध सिद्ध हुएवो कहाँ हैं दागी..?यह सुन एकमहिलाबौखलाई..!बोली येदोगली नीतिकहाँ से आई..?हम भीन्यायालय केनिर्णय कोमानते हैं.!पर न्यायकब मिलेगाये भी जानते हैं..!!निर्भया कीसज़ा अभीबाकी है..!पिछलेआठ वर्षों कीयह झांकी है..!!इस पीड़ा कोआप क्यासमझेंगे.!!आप सिर्फसबूतों कोही परखेंगे..!!“संतोष”न्याय मेंअनावश्यक देरी … Read more

Loading