जुल्मी-अगहन

जुल्मी-अगहन जुलुम ढाये री सखी,अलबेला अगहन!शीत लहर की कर के सवारी,इतराये चौदहों भुवन!!धुंध की ओढ़नी ओढ़ के धरती,कुसुमन सेज सजाती।ओस बूंद नहा किरणें उषा की,दिवस मिलन सकुचाती। विश्मय सखी शरमाये रवि- वर,बहियां गहे न धरा दुल्हन!!जुलूम…..सूझे न मारग क्षितिज व्योम-पथ,लथपथ पड़े कुहासा। प्रकृति के लब कांपे-न बूझे,वाणी की परिभाषा।मन घबराये दुर्योग न हो कोई-  मनुज … Read more

चेहरे पर कविता

चेहरे पर कविता सुनोकुछ चेहरोंके भावों को पढ़नाचाहती हूॅपर नाकाम रहती हूॅ शायदखिलखिलाती धूप सीहॅसी उनकीझुर्रियों की सुन्दरताबढ़ते हैंपढ़ना चाहती हूॅउस सुन्दरता के पीछेएक किताबजिसमें कितनेगमों के अफसाने लिखे हैंना जाने कितने अरमान दबे हैंना जाने कितने फाँके लिखे हैं चेहरा जो अनुभव के तेजसे प्रकाशित सा दिखता हैउस तेज के पीछे छिपीरोजी के पीछे … Read more

इन्तजार पर कविता

इन्तजार पर कविता विसंगति छाई संसृति मेंकरदे समता का संचार।मुझे ,उन सबका इन्तजार…। जीवन की माँ ही है, रक्षकफिर कैसे बन जाती भक्षक ?फिर हत्या, हो कन्या भ्रूण की या कन्या नवजात की ।रक्षा करने अपनी संतान कीजो भरे माँ दुर्गा सा हुँकारमुझे, उस माँ का इन्तजार….। गली गली और मोड़ मोड़ परहोता शोषण छोर … Read more

संस्कार पर कविता

संस्कार पर कविता अहो,युधिष्ठिर हार गया है,दयूत् क्रीड़ा में नारी को,दुःसाशन भी खींच रहा है,संस्कारों की हर साड़ी को। अपनी लाज बचाने जनता,सिंहासन से भीड़ जाओ तुम,भीख नही अधिकार मांगने,कली काल से लड़ जाओ तुम,विपरित काल घोर कलयुग है,ना याद करो गिरधारी को। अहो,युधिष्ठिर….सदियों को संस्कार सिखाकर,हम अब तक सीना ताने हैं।अपनाओ न पाश्चात्य सभ्यता,रिश्ते … Read more

क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो

क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो क्यूँ  झूठा  प्यार  दिखाते  हो ….दिल  रह  रह  कर  तड़पाते  हो .. गैरों  से  हंसकर  मिलते  होबस  हम  से  ही  इतराते  हो घायल  करते  हो  जलवों  से …नज़रों  के  तीर  चलाते  हो … जब  प्यार  नहीं  इज़हार  नहीं …फिर  हम  को  क्यूँ  अज़माते  हो .. आ  जाओ हमारी  बांहों  में … Read more