सेना पर कविता

सेना पर कविता सेना भारत वर्ष की, उत्तम और महान।इसके साहस की सदा, जग करता गुणगान।जग करता गुणगान, लड़े पूरे दमखम से।लेती रिपु की जान, खींच कर लाती बिल से।*और बढ़ाती *शान* , जीत बिन साँस न लेना।सर्व गुणों की खान, बनी बलशाली सेना।ताकत अपनी दें दिखा, दुश्मन को दें मात।ऐसी...

मेरी कविता मां काली है

मेरी कविता मां काली है मेरी कविता में करुण नही,क्रंदन कर अश्क बहायेगी ।श्रृंगार नहीं है कविता में ,जो गीत प्रेम के गायेगी ।सैनिक के साथ चला करती,यह भारत की रखवाली है ।शत्रु का शोणित पान करे ,मेरी कविता मां काली है ।प्रलय कर दे शत्रु दल में,वैरी को त्रास भयंकर है।जनहित...

वक्त ने सितम क्या ढाया है

वक्त ने सितम क्या ढाया है यह कैसी बेवसी है ,कैसा वक्त,अपनी हद में रह कर भी सजा पाईचाहा ही क्या था फ़कत दो गज जमीन ,वो भी न मिली और महाभारत हो गयी।चाहा ही क्या था बस अपना हक जीने कोराजनीति में द्रोपदी गुनाहगार हो गयी।त्याग,सेवा ,फर्ज दायित्व ही तो निभायेदेखो तो फिर भी...
माँ सी हो गई हूँ

माँ सी हो गई हूँ

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। माँ पर कविता माँ सी हो गई हूँ जब भी चादर बदलतीमाँ पर झल्ला पड़ती    ये क्या है...

सड़क पर कविता

सड़क पर कविता अजगर के जीभ सी ये सड़कसड़क नहीं है साहब….चीरघर है।हर दस मिनट में यहाँहोती हैं हलाल…इन द्रुतगामी वाहनों से।रोज होते सड़क हादसों सेलीजिए सबकजरा सावधानी सेकीजिए सफरक्या तुम्हें नहीं हैजिन्दगी से प्यारनहीं ,तो उनके बारे में सोचिएजो मानते हैं आपको संसार।जरा...