सड़क पर कविता

सड़क पर कविता

अजगर के जीभ सी ये सड़क
सड़क नहीं है साहब….
चीरघर है।
हर दस मिनट में यहाँ
होती हैं हलाल…
इन द्रुतगामी वाहनों से।
रोज होते सड़क हादसों से
लीजिए सबक
जरा सावधानी से
कीजिए सफर
क्या तुम्हें नहीं है
जिन्दगी से प्यार
नहीं ,तो उनके बारे में सोचिए
जो मानते हैं आपको संसार।
जरा संभलकर चलिए हुजूर
सड़कों पर गाड़ियाँ नहीं
यमराज गस्त लगाते हैं
यहाँ रिपोर्ट दर्ज नहीं होता
सीधे एनकाउन्टर किये जाते हैं।
जी हाँ, ये सड़क है
रील लाईफ नहीं
रीयल लाईफ है
समझदारी ही काम आती है
होते ही थोड़ी सी चूक
हीरोगिरी निकल जाती है।
ओ जोशीले नवजवां!
रफ्तार कम कर लो भाई
जिन्दगी से न करो बेवफाई
बजनी बाकी है अभी सहनाई
समझो,सड़क का विधान।
स्कूटर है,हेलीकॉपटर नहीं
सड़क पर हो,आसमां पे नहीं
वाहन चलाओ, न उड़ाओ
स्वयं बचो और सबको बचाओ।
✍ श्रीमती सुकमोती चौहान
ग्रा/पो -बिछिया(सा),तह- बसना,
जि – महासमुन्द,छ.ग.493558
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद