by कविता बहार | Mar 3, 2019 | हिंदी कविता
नाराज़- डॉ० ऋचा शर्मा माँ बेटे से अक्सर रहती है नाराज़नहीं करता बेटा कोई भी काजयही समझाना चाहती है माँजीवन का गहरा राज़बस इसीलिए रहती है बेचारी नाराज़बेटे को पहनाना चाहती हैकामयाबी का ताज़समाज को मुँह दिखा पाऊँरख ले बेटा इतनी लाजमैं हार चुकी, थक चुकी हूँसुन ले एक बात... by कविता बहार | Mar 3, 2019 | हिंदी कविता
रात ढलती रही रात ढलती रही, दिन निकलते रहे,उजली किरणों का अब भी इंतजार है।दर्द पलता रहा, दिल के कोने में कहीं ,लब पर ख़ामोशियों का इजहार है।जीवन का अर्थ इतना सरल तो नहीं,कि सूत्र से सवाल हल हो गया।एक कदम ही चले थे चुपके से हम,सारे शहर में कोलाहल हो गया।संवादों का... by कविता बहार | Feb 6, 2019 | हिंदी कविता
बसंत तुम आए क्यों ? मन में प्रेम जगाये क्यों?बसंत तुम आए क्यों ? सुगंधो से भरीसभी आम्र मंजरीकोयल कूकती फिरेइत्ती है बावरीसबके ह्रदय में हूक उठाने मन में प्रेम जगाये क्यों?बसंत तुम आए क्यों ? हरी पत्तियाँ बनी तरुणीआलिंगन करती लताओं काअनुरागी बन भंवरकलियों से जा... by कविता बहार | Feb 5, 2019 | हिंदी कविता
परदेसी से प्रीत न करना तुमसे विलग हुए तो कैसेकैसे दिवस निकालेंगे।दीप जलाये हैं हमने हीदीपक आप बुझा लेंगे। तन्हाई में जब जब यारायाद तुम्हारी आयेगी।परदेसी से प्रीत न करनादिल को यों... by कविता बहार | Feb 5, 2019 | हिंदी हाइकु कविता
किसानों को समर्पित एक कविता जेठ की तपती दुपहरी होया मूसलाधार बारिशअभावों कीकुलक्षिणी रात होया ….दक्षिणी ध्रुवी अंधकार अमावस्याजाड़े की ठिठुरन में भीऔरों की तरहनहीं सोतावह घोड़े बेचकर ..जिम्मेवारियों का निर्वहन करतेधरती के गर्भ सेजिसनेअन्न उपजामनुष्य और मनुष्यता कोजीवित...