by कविता बहार | Feb 4, 2019 | हिंदी कविता
काली कोयल कोयल सुन्दर काली -काली,हरियाले बागों की मतवाली।कुहू-कूहू करती डाली-डाली,आमों के बागों मिसरी घोली। ‘चिड़ियों की रानी’ कहलाती,पंचमसुर में तुम राग सुनाती।हर मानव के कानों को भाती,मीठी बोली से मिठास भरती। मौसम बसंत बहुत सुहाना,काली कोयल गाती... by कविता बहार | Feb 4, 2019 | हिंदी कविता
भावना तू कौन है ? क्रोध लोभ हास मेरात में प्रकाश मेंराग और द्वेष मेंप्रीत नेह क्लेश मेंदेखता हूँ मौन हैभावना तू कौन है? भय अभय चित्त मेंहार में व जीत मेंभूख और प्यास मेंदूर हो या पास मेंदेखता हूँ मौन हैभावना तू कौन है ? अश्रु जब पड़े ढुलककांपने लगे अधरतू बड़ी उदास... by कविता बहार | Feb 3, 2019 | हिंदी कविता
अपनापन पर कविता अपनापन ये शब्द जहां काहोता सबसे अनमोलप्यार नेह से मिल जातासंग जब हों मीठे बोल। अपनापन यदि जीवन में होहर लम्हा रंगे बहारअपने ही गैर बन जाएं तोग़म का दरिया है संसार। अपनेपन की अभिलाषी थीमैं अपनों की भीड़ मेंसमझ न पाया मर्म मेरा कोईबह गई मैं इस पीर में।... by कविता बहार | Feb 3, 2019 | हिंदी कविता
मातृभूमि पर कविता मातृभूमि के लिये नित्य ही,अभय हो जीवन दे दूंगा ।तन ,मन , धन निस्वार्थ भाव,सर्वस्व समर्पित कर दूंगा। जिस मातृभूमि में जन्म लिया है,जिसके अंक नित खेल हूँ।शिवा जी दधीचि की... by कविता बहार | Feb 3, 2019 | हिंदी कविता
चक्रव्यूह में फंसी बेटी (1)बर्फीली सर्दी में नवजात बेटी को,जो छोड़ देते झाड़ियों में निराधार।वे बेटी को अभिशाप समझते,ऐसे पत्थर दिलों को...