by कविता बहार | Feb 1, 2019 | हिंदी कविता
सोच सोच के सोचो नारी ना होती,श्रृंगार करता कौन?हुस्न की बात चले तो,तेरा नाम लेता कौन? नख-शिख चित्रण ,उभारता कौन?गर ना श्रृंगार होता,कविताएँ लिखता कौन?कवि की लेखनी क्या होती मोन?श्रृंगार देख बिन पिये, नशा चढ़ाता कौन? पल-पल क्षण-क्षण,प्रिय मिलन की आस जगाता कौन?सांझ का... by कविता बहार | Feb 1, 2019 | हिंदी कविता
सच्ची मुहब्बत पर गजल भला इस दौर में सच्ची मुहब्बत कौन करता हैबिना मतलब जहाँ भर में इबादत कौन करता हैहसीं रंगीन दुनिया के नजारे छोड़ कर पीछेमुहब्बत के सफीनों की जियारत कौन करता हैयह खुदगर्ज़ी भरी दुनिया यहाँ कोई नहीं अपनाकिसी मजबूर पर दिल से इनायत कौन करता हैअमीरी में... by कविता बहार | Feb 1, 2019 | हिंदी हाइकु कविता
तिरंगा शान हमारी आन~प्राणों से बढ़करतिरंगा शान पूजनीय है~माटी का कण-कणवन्दनीय है भारत माता~बच्चा-बच्चा कुर्बानझुकता माथा पावन माटी~वीरों के लहू सनीहै हल्दीघाटी गौरव गाथा~प्यारे हिंदुस्तान कीविश्व है गाता.... by कविता बहार | Feb 1, 2019 | Uncategorized
झुकेगा सर नहीं अपना झुकेगा सर नहीं अपना, किसी तलवार के आगे।अटल होकर खड़े होंगे, बुरे व्यवहार के आगे। बढ़ायेंगे कदम अपने, न जब तक लक्ष्य हो हासिल।बढ़ेंगे नित्य हम अविचल, भले ही दूर हो मंज़िल।डरेंगे हम नहीं अब तो, किसी प्रतिकार के आगे।1झुकेगा सर नहीं…… लगा... by कविता बहार | Feb 1, 2019 | हिंदी कविता
अंतर्द्वंद्व बड़ा अलबेला द्वंद्वभरी जीवन की राहें,भटक रहे तुम मन अलबेले!संतोषी मग पकड़ बावरे,इस जीवन के बड़े झमेले!! तृप्त हुआ तू नहीं आज तक,मनमर्जी रथ को दौड़ाया!चौराहे पर फिरा भटकता,ज्यों कुंजर वन में बौराया!दृग ऊपर माया का पर्दा,देखे सपने सदा नवेले!संतोषी मग पकड़...