5 अक्टूबर 1994 को यूनेस्को ने घोषणा की थी कि हमारे जीवन में शिक्षकों के योगदान का जश्न मनाने और सम्मान करने के लिए इस दिन को विश्व शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
आशाओं के दीप जलेंगे
● सुनील श्रीवास्तव ‘श्री’
आशाओं के दीप जलेंगे
खुशियों की होगी बरसात ।
छंट जाएँगे दुःख के बादल
गुरुओं की जब होगी बात ।।
पूरे होंगे खाब हमारे
जो भी हमने बुने थे सारे।
आसमान से बातें करते
बन जाएँगे चाँद सितारे |
शिक्षा का उजियाला फैलें
कट जाएगी काली रात ।
छँट जाएँगे दुःख के बादल
गुरुओं की जब होगी बात ।।
पाँच सितंबर हर दिन होगा
कोई न होगा लल्लू पोंगा।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन् के
दर्शन के पहनेंगे चोंगा ||
ज्ञान पताका लें हाथों में
लिखेंगे दिल के जजबात ।
छँट जाएँगे दुःख के बादल
गुरुओं की जब होगी बात ।।
मेहनत- हिम्मत खूब करेंगे
रोब हुकूमत नहीं सहेंगे
ऊँची-ऊँची शिक्षा पाकर
अपनी बातें आप कहेंगे ॥
अब नहीं रहना छाप-अँगूठा
शब्दों की होगी बरसात ।
छँट जाएँगे दुःख के बादल
गुरुओं की जब होगी बात ।
गुरु ज्ञानदेव, गुरुब्रह्मदेव
● पंडित यशवन्त क्षीरसागर
गुरु ज्ञानदेव गुरु ब्रह्मदेव,
गुरु नामदेव, संकीर्तन ॥
कैवल्य-धाम, वात्सल्य शाम,
साफल्य राम, गुरु मेरे ।।
गुरु वेदमूर्ति, गुरु वेदकीर्ति,
मोक्ष-मुक्ति-प्राप्ति, गुरु साधे ||