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इसरो चन्द्रयान पर कविता

इसरो चन्द्रयान पर कविता : भारत की चन्द्रक्रान्ति में इसरो के अंतरिक्ष में बढ़ते कदमों पर हर इसरोजन को नमन और एक भारतीय के रूप में गौरव के पल है .

नमन तुम्हें है इसरोजन

देश गर्व से देख रहा है,
आज चमकते चांद की ओर ।
दुनिया में अपना नाम बना हैं ,
छूकर इसका तलीय छोर।

भारत की इस जय में बोलें,
जय जय तेरी हो विज्ञान ।
इसरो ने कुछ किया है ऐसा ,
और बढ़ेगा देश का मान ।

आज फूल कर गर्व से सीना ,
हो गया छप्पन इंच के पार।
कदम हमारे निकट भविष्य,
अब होंगे मंगल के द्वार ।

इतिहास हमें अब रचना ही है ,
जय हो तेरी हिंदुस्तान ।
अर्श से ऊपर पहुंचाएगा,
हमको अब यह चंद्रयान।

तीन रंग की विजय पताका ,
अंतरिक्ष के पार हुई ।
विक्रम-प्रज्ञान की बनी जो जोड़ी ,
दुनियां में इक मिसाल हुई।

जुगाड़-जुगाड़ में कमाल दिखाया,
नमन है तुमको इसरोजन।
सफर शुरू साइकिल से करके ,
पहुंच गए हो तुम मंगल ।

सबला की शक्ति से ही अब,
आसमान छू पाए हम ।
लोहा अपना मनवा कर वो,
साबित हो गई है सक्षम।

साख हमारी और बढ़ेगी ,
दुनियां की पंचायत में ।
निकट भविष्य हम आगे होंगे ,
अंतरिक्ष की कवायद में।

चांद के पार चलने का सपना,
आखिर आज साकार हुआ।
हिंदुस्तान की चंद्र क्रांति से ,
हर हिंदुस्तानी महान हुआ ।

वैज्ञानिकों ने आज अंतरिक्ष में ,
अजस्र सूरज चमकाया है ।
दूर न रहे अब चंदा मामा ,
दुनिया को दिखलाया है ।

  *डी कुमार--अजस्र (दुर्गेश मेघवाल,बूंदी /राज.)*

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