स्वतंत्रता की पुकार (दास व्यापार उन्मूलन दिवस)

दास व्यापार उन्मूलन दिवस का उद्देश्य दासता के खिलाफ संघर्ष और इसके उन्मूलन के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस हमें मानव अधिकारों और समानता के लिए किए गए प्रयासों की याद दिलाता है। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है:

स्वतंत्रता की पुकार (दास व्यापार उन्मूलन दिवस)

स्वतंत्रता की पुकार

दासता की जंजीरों को तोड़ें,
मानवता को करें आजाद,
हर इंसान का हक है जीने का,
नफरत की बेड़ियों से करें फरियाद।

वो दिन थे जब बेचा गया इंसान,
मूल्यहीन बना दिया उसका सम्मान,
किसी की आज़ादी पर जब थी चोट,
हर दिल में उठी थी आजादी की बात।

श्रम से भीख न मांगे कोई,
मजदूरी का हो उचित आकलन,
दासता के अंधकार से बाहर आकर,
हर जीवन को दें नई पहचान।

अभी भी कहीं चल रही है ये लड़ाई,
छिपकर, घातक रूप में दुनिया में समाई,
मानव तस्करी और बाल श्रम के जाल से,
हमें लड़ना है, इसे करना है नाकाम।

हर बच्चा स्कूल में हो मुस्कुराता,
हर श्रमिक का हक हो उसको मिलता,
दासता का नाम मिटे सदियों के लिए,
हर इंसान स्वतंत्रता का गीत गाता।

दास व्यापार उन्मूलन दिवस पर आओ,
संकल्प लें कि बदलें ये हालात,
हर दिल में स्वतंत्रता की हो रोशनी,
मानवता का बढ़ाएं हम मान।

संवेदनाओं से भरी हो ये दुनिया,
जहां हर व्यक्ति का हो सम्मान,
स्वतंत्रता, समानता और न्याय के लिए,
हर कदम पर करें हम संघर्ष का आगाज़।

इस आजादी की राह पर बढ़ें हम,
हर दासता की बेड़ी को काटें,
आओ मिलकर गाएं हम स्वतंत्रता का गीत,
मानवता की खुशबू से दुनिया को महकाएं।


यह कविता दासता के उन्मूलन और स्वतंत्रता के महत्व पर प्रकाश डालती है, और हमें प्रेरित करती है कि हम हर प्रकार की बंधन और अन्याय के खिलाफ खड़े हों, ताकि हर व्यक्ति को उसका हक और सम्मान मिले।